प्रेम और युद्ध

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प्रेम और युद्ध मैं यही अंतर है, युद्व दूसरे को मिटा के जीता जाता है और प्रेम खुद को मिटा के जीता है!
युद्ध मैं मिली जीत भी हार है और प्रेम मैं मिली हार भी जीत के सामान है!