बुद्ध का धर्म

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बुद्ध ने एक धर्म दिया, जो परमात्मा से मुक्त है। बुद्ध ने एक मोक्ष दिया, जिसमें परमात्मा की कोई आवश्यकता नहीं। इतनी ऊंचाई पर कोई धर्म कभी नहीं पहुंचा। थोड़ा सोचो तो! धर्म की इतनी ऊंचाई, कि परमात्मा भी अनावश्यक हो जाए। प्रार्थना की इतनी बुलंदी कि परमात्मा भी आवश्यक न रह जाए। झुकना अपने आप में इतना परिपूर्ण आनंद है कि इसे दूसरे के सहारे की जरूरत नहीं। सहज-स्फूर्तआत्म-भाव!

एस धम्मो सनंतनो,भाग 3

ओशो।