हँसना

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हंसो ???

बहाने मिलें तो ठीक , न बहाने मिलें तो कुछ खोजो ! मगर जिंदगी तुम्हारी एक हंसी का सिलसिला हो ।
हंसी तुम्हारी सहज अभिव्यक्ति बन जानी चाहिए ।
मेरा संन्यासी हर हालत में मस्ती और आनंद को
अभिव्यंजन दे । यही मेरी आकांक्षा है।

ओशो